अपने बारे में

धर्मपाल महेंद्र जैन 

टोरंटो (कनाडा) , 2002 से कैनेडियन नागरिक 

जन्म : 1952, रानापुर, जिला – झाबुआ, म. प्र.

शिक्षा :  भौतिकी, हिन्दी एवं अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर


प्रकाशित पुस्तकें: 

व्यंग्य संकलन‘गणतंत्र के तोते’, ‘चयनित व्यंग्य रचनाएँ’, “डॉलर का नोट” “भीड़ और भेड़िए”, “इमोजी की मौज में” दिमाग़ वालो सावधान” और “सर क्यों दाँत फाड़ रहा हैएवं 

कविता संकलन - Friday Evening, “अधलिखे पन्ने”, “कुछ सम कुछ विषम” और “इस समय तक” प्रकाशित।  तीस से अधिक साझा संकलनों में।


शोधग्रंथ – 1.  धर्मपाल महेंद्र जैन की रचनाधर्मिता – संपादक – डॉ. दीपक पांडेय, डॉ. नूतन पांडेय                2.  धारदार धर्मपाल – संपादक – आर पी तोमर

पाठ्यक्रमों में – इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय रेवाड़ी, मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद के एम.ए. (हिंदी) तथा नागपुर विश्वविद्यालय के बी. कॉम. (अनिवार्य हिंदी) पाठ्यक्रम में रचनाएँ सम्मिलित।


चाणक्य वार्ता, सेतु, विश्वगाथा में व्यंग्य एवं विश्वा में प्रवासी मुद्दों पर स्तंभ लेखन। 

संपादन : अनन्य कैनेडा (दो अंक), 2021 व 2022 में विश्व गाथा के व्यंग्य विशेषांक का अतिथि संपादन। 1976-1979 में शाश्वत धर्म मासिक में प्रबंध संपादक। स्वदेश दैनिक (इन्दौर) में 1972 में संपादन मंडल में।


संप्रति :  दीपट्रांस समूह में कार्यपालक। पूर्व में बैंक ऑफ इंडिया, न्यूयॉर्क में सहायक उपाध्यक्ष एवं उनकी कई भारतीय शाखाओं में प्रबंधक।


स्वयंसेवा :  जैना (फेडरेशन ऑफ जैन एसोशिएशंस इन नॉर्थ अमेरिका) भूतपूर्व डायरेक्टर, जैन सोसायटी ऑफ टोरंटो में भूतपूर्व ट्रस्टी, कैनेडा की मिनिस्ट्री ऑफ करेक्शंस के तहत आयएफसी में पूर्व निदेशक, न्यूयॉर्क में 1994-97 के दौरान भारतीय कौंसलावास की राजभाषा समिति और परमानेंट मिशन ऑफ इंडिया की सांस्कृतिक समिति में सदस्य।

 

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ईमेल : dharmtoronto@gmail.com        

पत्रिकाएँ - नवनीत, वागर्थ, दोआबा, पाखी, समकालीन भारतीय साहित्य, मधुमती, कादम्बिनी, रविवार, आजकल, लहक, पहल, व्यंग्य यात्रा, अट्टहास, पक्षधर, साक्षात्कार, यथावत, अक्षरा, कथा क्रम,समावर्तन, कला समय, वीणा, दुनिया इन दिनों, सृजन सरोकार, साहित्य अमृत, कथाबिम्ब, समालोचन, यथावत, परिंदे, दुनिया इन दिनों, सुख़नवर, शीतलवाणी, गर्भनाल, विभोम स्वर, डायस्पोरा-मॉरीशस, विश्व हिन्दी साहित्य मारीशस, मुक्तांचल, नूतन कहानियाँ, उदय सर्वोदय, अग्रिमान, कालजयी, ककसाड़, गाँव के लोग, विश्वा, मधुराक्षर, हिन्दी चेतना, आधुनिक निबंध, रचना उत्सव, प्रेरणा, नवकिरण, सृजन महोत्सव, संगिनी, साहित्य समीर दस्तक, आदि 


अख़बार - जनसत्ता, अमर उजाला, जनसंदेश, ट्रिब्यून, जनवाणी, भास्कर, नई दुनिया, प्रभात खबर, सुबह सवेरे, मिलाप, स्वदेश


वेब पत्रिकाएँ - लिट्रेचर प्वाइंट, पोषमपा, कट पेस्ट.कॉम, प्रतिलिपि, मातृभारती, पुरवाई, भारत दर्शन, साहित्य कुंज, हस्ताक्षर, अनहद कृति, 

में रचनाएँ प्रकाशित। एक हजार से अधिक रचनाएँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।


Poetry in English : Piker Press, Setu, Poetry Pause, Fresh Voices, Harbinger Asylum, Akshara, Impspired, Scarlet Leaf Review, Dissident Voice etc.. 

साक्षात्कार

  Dharmpal Mahendra Jain                                                                                              with                                                  Sunil Sharma

Dharm, Sunil, and Suman listening to Tom Hamilton                                                                                                       at SBILF, Toronto 

व्यंग्य; सत्ता, समाज तथा राजनीति के निरंकुश ऐरावत के लिए अंकुश सदृश्य है। बकौल धर्मपाल महेंद्र जैन, "अराजकता, अत्याचार, अनाचार, असमानताएँ, असत्य, अवसरवादिता का विरोध प्रकट करने का प्रभावी माध्यम है- व्यंग्य लेखन।"

व्यंग्य लेखन कोई फिलर न हो पर हमारी अभिव्यक्ति का पिलर हो तथा हम तटस्थ हो जाएँगे तो हम हाशिये पर चले जाएँगे, रचना या साहित्य नहीं। ऐसी ही भाव सरणियों से होकर गुजरती है श्री धर्मपाल महेंद्र जैन से डॉ. सत्यवीर सिंह की यह बातचीत 

वर्ल्ड टाइम्स के प्रो. नवसंगीत सिंह के साथ बातचीत

लहक के संपादक प्रो. निर्भय देवयांश के साथ

गंगा कावेरी व्याख्यानमाला - व्यंग्य के सरोकार

गाँव के लोग के संपादक रामजी यादव के साथ